थकी माँदी हुई बेचारियाँ आराम करती हैं

थकी-मांदी हुई बेचारियाँ आराम करती हैं
न छेड़ो ज़ख़्म को बीमारियाँ आराम करती हैं

सुलाकर अपने बच्चे को यही हर माँ समझती है

कि उसकी गोद में किलकारियाँ आराम करती हैं

किसी दिन ऎ समुन्दर झांक मेरे दिल के सहरा में

न जाने कितनी ही तहदारियाँ आराम करती हैं

अभी तक दिल में रोशन हैं तुम्हारी याद के जुगनू

अभी इस राख में चिन्गारियाँ आराम करती हैं

कहां रंगों की आमेज़िश
* की ज़हमत** आप करते हैं
लहू से खेलिये पिचकारियाँ आराम करती हैं
शब्दार्थ:
* प्रकटन 
** कष्ट

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